Wainganga Times

पुलिस बनी डकैत CSP और थाना प्रभारी समेत 11 पुलिसकर्मियों पर एफआईआर दर्ज

3 करोड़ हवाला की डकैती के मामले में CSP पूजा पांडे और थाना प्रभारी अर्पित भैरम समेत 6 पुलिसकर्मी गिरफ्तार

सीएम बोले: कानून सबके लिए बराबर, दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा

मुख्यमंत्री मोहन यादव के निर्देश पर बड़ी कार्रवाई

प्रदेश की वर्दी पर दाग लगा देने वाला यह मामला पूरे मध्यप्रदेश की कानून व्यवस्था पर गहरा सवाल खड़ा कर रहा है। सिवनी से शुरू हुआ हवाला कांड अब शासन-प्रशासन के लिए प्रतिष्ठा की परीक्षा बन चुका है। जिस पुलिस पर भरोसा किया जाता है, वही जब अपराध में साझेदार बन जाए, तो न्याय और व्यवस्था दोनों की बुनियाद हिल जाती है। मुख्यमंत्री के सख्त तेवरों के बीच अब पूरा प्रदेश यह देख रहा है कि कानून की कसौटी पर वर्दी कितनी ईमानदार साबित होती है।

सिवनी। प्रदेश में कानून व्यवस्था को कलंकित कर देने वाले 3 करोड़ रुपए के हवाला कांड में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सख्त रुख अपनाते हुए तत्काल एफआईआर दर्ज करने और दोषियों की गिरफ्तारी के आदेश दिए हैं। यह मामला उस समय तूल पकड़ गया जब सिवनी जिले के बंडोल थाना क्षेत्र में हवाला कारोबार से जुड़ी रकम को कथित रूप से पुलिसकर्मियों द्वारा ही हड़प लिए जाने का खुलासा हुआ। मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद पूरे पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया और जबलपुर जोन के आला अधिकारी सिवनी पहुंच गए। डीजीपी कैलाश मकवाना की देखरेख में हुई कार्रवाई के बाद एसडीओपी (CSP) पूजा पांडे, टीआई अर्पित भैरम सहित कुल 11 पुलिसकर्मियों के खिलाफ गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया गया है। इनमें से 6 आरोपी पुलिस की गिरफ्त में हैं, जबकि 5 आरोपी अब तक फरार चल रहे हैं। मुख्यमंत्री ने साफ कहा है कि वर्दी में छिपे अपराधियों को बख्शा नहीं जाएगा, चाहे उनकी पदवी कितनी भी ऊंची क्यों न हो।

डकैती, अपहरण और षड्यंत्र की धाराओं में दर्ज हुआ मामला


सिवनी हवाला प्रकरण में पुलिस ने अपने ही साथियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की कई गंभीर धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। इनमें 310(2) (डकैती), 126(2) (गलत तरीके से रोकना), 140(3) (अपहरण) और 61(2) (आपराधिक षड्यंत्र) शामिल हैं। इन धाराओं की गंभीरता यह दर्शाती है कि आरोपियों ने न केवल अपने कर्तव्य का उल्लंघन किया, बल्कि कानून की आड़ में अपराध को अंजाम देने का दुस्साहस भी किया। मामले की प्रारंभिक जांच में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। हवाला रकम की बरामदगी दिखाने के नाम पर रकम का बड़ा हिस्सा कथित रूप से गायब कर दिया गया। जांच टीम का मानना है कि यह काम एक संगठित साजिश के तहत किया गया, जिसमें कई पुलिस अधिकारी और कर्मचारी सीधे तौर पर शामिल थे।

हिरासत में लिए गए पुलिसकर्मी

गिरफ्तारी के दायरे में आए पुलिसकर्मियों में एसडीओपी पूजा पांडे, एसआई अर्पित भैरम, कॉन्स्टेबल योगेंद्र, कॉन्स्टेबल नीरज और कॉन्स्टेबल जगदीश शामिल हैं। इन सभी को पुलिस ने हिरासत में लेकर जबलपुर क्राइम ब्रांच को जांच के लिए सौंप दिया है। सभी आरोपियों से पूछताछ की जा रही है, जिसमें यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि हवाला रकम को किस तरह से बांटा गया और कौन-कौन अधिकारी इस पूरे खेल में शामिल रहे।

एफआईआर में नामजद अन्य आरोपी पुलिसकर्मी

एफआईआर में जिन अन्य पुलिसकर्मियों के नाम दर्ज किए गए हैं, उनमें प्रधान आरक्षक माखन, प्रधान आरक्षक राजेश जंघेला, आरक्षक रविंद्र उईके, चालक रितेश, गनमैन केदार और गनमैन सदाफल शामिल हैं। जांच में यह भी सामने आया है कि हवाला रकम के साथ पुलिस वाहन की मूवमेंट और वायरलेस सेट के रिकॉर्ड में भी कई अनियमितताएं मिली हैं, जो मिलीभगत की ओर इशारा करती हैं। इन सभी के मोबाइल और कॉल डिटेल्स खंगाली जा रही हैं, ताकि लूट की योजना में शामिल अन्य चेहरों का भी खुलासा हो सके।

पूरा घटनाक्रम : 8 से 14 अक्टूबर तक का हवाला हंगामा

8 अक्टूबर को फरियादी ने अपनी कार से 2 करोड़ 96 लाख 50 हजार रुपए की हवाला राशि लूटने की शिकायत दर्ज कराई। 11 अक्टूबर को लखनवाड़ा पुलिस ने हवाला कारोबार से जुड़े तीन लोगों को गिरफ्तार कर 1.45 करोड़ की रकम की बरामदगी दिखाई, लेकिन शेष रकम का कोई हिसाब नहीं मिला। 13 अक्टूबर को जबलपुर आईजी प्रमोद वर्मा और डीआईजी राकेश कुमार सिंह ने सिवनी पहुंचकर जांच की, जिसमें कई विसंगतियाँ सामने आईं। 14 अक्टूबर को जबलपुर से एएसपी आयुष गुप्ता के नेतृत्व में विशेष जांच दल (SIT) ने सिवनी पहुंचकर पूरे प्रकरण की रिपोर्ट तैयार की, जो अब अंतिम चरण में है। यह मामला अब सिर्फ पुलिस विभाग तक सीमित नहीं रहा, बल्कि पूरे प्रदेश की प्रशासनिक विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर रहा है।

वर्दी बनाम कानून — प्रदेश में पुलिस पर उठे सवाल

हवाला रकम और पुलिस की मिलीभगत का यह प्रकरण अब आम जनता के बीच चर्चा का विषय बन गया है। जिन पुलिसकर्मियों पर सुरक्षा की जिम्मेदारी थी, वही जब अपराधी बन गए, तो आमजन का भरोसा टूटना स्वाभाविक है। इस घटना ने प्रदेश की पुलिस व्यवस्था को झकझोर कर रख दिया है। कानून के रखवालों द्वारा की गई इस डकैती ने साबित कर दिया कि जब वर्दी अपराध से गले मिल जाए, तो व्यवस्था की नींव हिल जाती है। अब इस मामले ने राजनीतिक हलकों में भी भूचाल ला दिया है, और विपक्ष सरकार से जवाब मांग रहा है कि आखिर वर्दी में बैठे अपराधियों को पहले क्यों नहीं रोका गया।

सीएम का सख्त बयान — प्रदेश में कानून से ऊपर कोई नहीं

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि प्रदेश में कानून का शासन सर्वोपरि है। कानून की नजर में सब बराबर हैं। वर्दी पहनकर अपराध करने वालों को सरकार किसी भी कीमत पर बख्शेगी नहीं। यह प्रदेश सुशासन के मार्ग पर है और शासन की साख पर कोई भी आंच बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने यह भी जोड़ा कि पूरे प्रकरण की निगरानी स्वयं गृह विभाग कर रहा है और जो भी अधिकारी या कर्मचारी इसमें दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ निलंबन से लेकर बर्खास्तगी तक की कार्रवाई की जाएगी।

जांच जबलपुर क्राइम ब्रांच के हवाले — अब बड़ी गिरफ्तारी की संभावना

मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच अब जबलपुर क्राइम ब्रांच को सौंपी गई है। क्राइम ब्रांच की टीम ने सिवनी पहुंचकर कई महत्वपूर्ण दस्तावेज, सीसीटीवी फुटेज और वायरलेस रिकॉर्ड अपने कब्जे में लिए हैं। सूत्रों के अनुसार, आने वाले दिनों में कुछ और वरिष्ठ अधिकारियों पर भी गाज गिर सकती है। गृह विभाग ने पूरे प्रकरण की विस्तृत रिपोर्ट मांगी है और यह रिपोर्ट सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय को सौंपी जाएगी।

प्रदेश की साख दांव पर

सिवनी हवाला कांड ने न केवल पुलिस महकमे की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि शासन की साख को भी चुनौती दी है। यह मामला अब एक साधारण लूट का नहीं रहा, बल्कि प्रदेश की कानून व्यवस्था, पुलिस की विश्वसनीयता और सुशासन की परख बन गया है। हवाला की रकम, वर्दी की साख और कानून की मर्यादा — इन तीनों के बीच छिड़ी इस जंग पर अब पूरे मध्यप्रदेश की निगाहें टिकी हैं।

Picture of waingangatimes

waingangatimes

क्या बॉक्स ऑफिस पर पठान का रिकॉर्ड तोड़ पाएगी जवान?

View Results

Loading ... Loading ...

copyright 2023 | www.waingangatimes.com | All Rights Reserved

You cannot copy content of this page

Home
Video
Search