सामाजिक न्याय, समता और संविधान की रक्षा का संकल्प दोहराया

महात्मा फुले एवं डॉ. अंबेडकर के आंदोलन के कारण महिलाओं एवं बहुजनों के जीवन में परिवर्तन आया – बंदेबार

सिवनी। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) द्वारा 14 अप्रैल को जिला मुख्यालय सिवनी में महात्मा ज्योतिबा राव फुले और भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर की संयुक्त जयंती गरिमामय, क्रांतिकारी और सामाजिक चेतना से परिपूर्ण रूप में मनाई गई। इस अवसर पर रानी दुर्गावती प्रतिमा स्थल, कचहरी चौक से संगोष्ठी एवं भव्य वाहन रैली का आयोजन किया गया, जिसमें जिलेभर से हजारों की संख्या में कार्यकर्ताओं, समाजसेवियों और बुद्धिजीवियों ने भाग लिया।
महापुरुषों के आंदोलन ने बदली महिलाओं और बहुजनों की तस्वीर
संगोष्ठी में वक्ताओं ने स्पष्ट रूप से कहा कि महात्मा फुले और डॉ. अंबेडकर के आंदोलनों ने समाज के अंतिम पंक्ति के व्यक्ति, विशेषकर महिलाओं और बहुजनों के जीवन में अमूल्य और क्रांतिकारी परिवर्तन लाया है। शिक्षा, आत्मसम्मान और अधिकारों की चेतना आज इन्हीं संघर्षों की देन है।
संविधान की रक्षा के लिए सत्ता परिवर्तन जरूरी – बसपा नेता
कार्यक्रम में जोन प्रभारी उमाकांत बन्देवार, बीएल कुमरे, डोमन लाल अहिरवार, एडवोकेट सतीश यादव, राम सिंह परते, मुन्नालाल चौधरी, प्रेमचंद साहू, रामभवन डहेरिया, रवि मेश्राम, मनोहर डहेरिया, सुभाष डेहरिया, कैलाश डहेरिया सहित कई प्रमुख नेताओं ने कहा कि संविधान के कारण ही आज दबे-कुचले, महिलाएं और बहुजन समाज सम्मान के साथ जीवन जी रहे हैं, लेकिन मनुवादी सोच और पूंजीवादी दल इसे बदलने की साजिश कर रहे हैं। नेताओं ने स्पष्ट किया कि संविधान की रक्षा सिर्फ भाषणों से नहीं, बल्कि दिल्ली और भोपाल की सत्ता पर काबिज होकर ही संभव है – और यह कार्य बसपा सुप्रीमो बहन कुमारी मायावती के नेतृत्व में ही पूरा किया जा सकता है।
वाहन रैली बनी सामाजिक चेतना की ताकत
संगोष्ठी के उपरांत निकाली गई भव्य वाहन रैली ने सिवनी की सड़कों को सामाजिक न्याय और बहुजन एकता के नारों से गुंजायमान कर दिया। इस रैली में जिले के सभी विधानसभा क्षेत्रों से बसपा कार्यकर्ता, महिला पदाधिकारी, युवा और समाजजन भारी संख्या में शामिल हुए। रैली ने संदेश दिया कि बहुजन समाज जाग चुका है और अब संविधान की रक्षा के लिए संगठित भी है।
कार्यक्रम बना सामाजिक परिवर्तन का सशक्त मंच
कार्यक्रम की अध्यक्षता बसपा जिलाध्यक्ष लालसिंह नंदौरे ने की। उन्होंने कहा कि यह आयोजन केवल जयंती नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन की चेतना को जनमानस तक पहुँचाने का माध्यम है। बसपा ने यह आयोजन महापुरुषों के विचारों को धरातल पर उतारने, युवाओं को शिक्षित, संगठित और संघर्षशील बनाने तथा शोषणमुक्त, समतामूलक समाज की स्थापना हेतु प्रेरणा देने के लिए किया।
संगठनात्मक एकजुटता और जनसंपर्क का प्रदर्शन
इस सफल आयोजन के लिए बसपा के सभी विधानसभा अध्यक्ष – शैलेन्द्र कौसरे (केवलारी), कैलाश डेहरिया (विधानसभा प्रभारी केवलारी), बाबूलाल सिगौरे (लखनादौन), जयकुमार डहेरिया (सिवनी), रामप्रसाद बारमाटे (बरघाट), रामकरण डहेरिया (नगर अध्यक्ष) – ने ज़िम्मेदारी से भूमिका निभाई। जिला संयोजक मनोहर डहरिया (बी.डी.एफ.) सहित अन्य पदाधिकारियों ने क्षेत्रवासियों से कार्यक्रम में भाग लेकर इतिहास रचने का आह्वान किया।
बसपा का संदेश – समता, स्वाभिमान और अधिकारों की रक्षा में कोई समझौता नहीं
बसपा का यह आयोजन केवल एक दिन का कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक राजनीतिक और सामाजिक चेतना अभियान का हिस्सा है, जो बाबा साहब और महात्मा फुले की विचारधारा को जन-जन तक पहुँचाने का संकल्प दोहराता है।
“जब तक बहुजन समाज सत्ता में भागीदार नहीं होगा, तब तक समाज में समता और न्याय की स्थापना अधूरी रहेगी।” – यही विचार इस आयोजन का मूल संदेश बना।