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नाकेदारों पर गिरी जाग, रेंजर और एसडीओ पर मेहरबान डीएफओ

डीएफओ एवं भोपाल जांच दल ने दो सेक्टरों में पाया सागौन के पेड़ की अवैध कटाई

केवलारी –वन परिक्षेत्र केवलारी में हो रही अवैध कटाई का मामला शांत होने का नाम नहीं ले रहा है। शिकायतकर्ताओं द्वारा की गई शिकायत के बाद सिवनी डीएफओ गौरव मिश्र एवं भोपाल से आई जांच टीम प्रमुख जितेंद्र गुप्ता सहायक मुख्य वन संरक्षक उड़नदस्ता भोपाल केवलारी पहुंचे। जहां जांच दल ने शिकायतकर्ताओं के साथ सिर्फ दो कंपार्टमेंट की जांच की जिसमें सैकड़ो सागौन के हरे-भरे पेड़ों के ठूंठ मिले हैं। जांचकर्ताओं ने भी स्वीकार किया कि वनों में अवैध कटाई जोरों पर की गई है। मुख्य वन संरक्षक भोपाल द्वारा जांच के निर्देश पर उपवन संरक्षक सिवनी द्वारा गठित जांच टीम एवं भोपाल से आई टीम के साथ शिकायतकर्ता प्रवीण दुबे,स्वप्निल उपाध्याय, कृष्णा प्रजापति एवं देवराज डहेरिया सहित पत्रकारों की उपस्थिति में जांच दल ने जंगल का निरीक्षण किया।

नाकेदारों पर कार्रवाई कर पीठ थपथपा रहा वन विभाग

एक ओर वन परिक्षेत्र केवलारी की बीटों में सैकड़ो की संख्या में सागौन के पेड़ कटे हुए हैं जिसकी जानकारी पहले से स्थानीय रेंजर एवं एसडीओ को पहले से है परंतु इन वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा लगातार जंगलों की अवैध कटाई को छुपाने का प्रयास किया जा रहा था साथ ही मीडिया के द्वारा पूछे जाने पर भी जंगलों में किसी भी प्रकार की कोई अवैध कटाई ना होने के दावे किए जाते थे। पहले भी अनेक बार शिकायतें की जा चुकी हैं परंतु वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा मामले को दबाने का प्रयास किया गया परंतु जागरुक पत्रकारों द्वारा जब मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की गई तो जॉच में वन विभाग के दावों की पोल खुलने लगी इसके बाद आनन फानन में विभाग द्वारा संबंधित बीटों के तीन नाकेदारों के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई कर दी गई परंतु सवाल यह उठता है कि इतने बड़े मामले में जहां सैकड़ो की संख्या में सागौन के पेड़ों की कटाई हो और दो अलग-अलग सेक्टरों में यह अवैध कटाई जांच में पाई गई हो तब भी केवलारी रेंजर और एसडीओ पर किसी भी प्रकार की कार्रवाई न होना कहीं ना कहीं विभाग पर प्रश्न खड़ा करता है?

रेंजर और एसडीओ पर कार्यवाही करने से परहेज क्यों

जैसे-जैसे जंगलों में सागौन के कटे ठूंठ की जांच हो रही है वैसे वैसे क्षेत्र में वन विभाग के खिलाफ आक्रोश बढ़ता जा रहा है और यह आक्रोश कभी भी जन आंदोलन के रूप में फट सकता है। स्थानीय समाजसेवियों का कहना है कि हमारे द्वारा लगातार क्षेत्र में पौधारोपण किया जाता है और पर्यावरण संरक्षण के लिए काम किया जाता है परंतु जिस प्रकार से जंगलों में अवैध कटाई हो रही है बिना वरिष्ठ अधिकारियों की मिली भगत के बिना संभव नहीं है इसलिए इस पूरे मामले में केवल छोटे कर्मचारियों को मोहरा बनाया गया है जबकि आज भी मामले के बड़े मगरमच्छ पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। वही सामाजिक धार्मिक राजनीतिक संगठनो ने उचित कार्रवाई न होने पर बड़े आंदोलन की चेतावनी दे डाली है।

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praveen dubey

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