केवलारी। अनुसूचित जाति/जन जाति के संवैधानिक अधिकार के अधिकारीकरण एवं क्रीमिलेयर में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित निर्णय को रद्द करते हुए अध्यादेश के माध्यम से पूर्ववत स्थिति यथावत रखे जाने को लेकर 21 अगस्त 2024 को भारत बंद का आव्हान किया गया। जहाँ अनुसूचित जाति जनजातीय संयुक्त मौर्चा के बेनर तले चांदनी चौक से एसडीएम कार्यालय तक रैली निकाल कर महामाहिम राष्ट्रपति के नाम तहसीलदार केवलारी को ज्ञापन सौंपा गया। जिसमें स्पस्ट उल्लेख किया गया है कि बीते एक अगस्त 2024 को दरविन्दर सिंह बनाम पंजाब राज्य के मामले में निर्णय पारित किया गया है कि अनुसूचित जाति/जन जाति के भीतर आरक्षण के लिए उप वर्गीयकरण किया जा सकता है जबकि पूर्व में माननीय सर्वोच्च न्यायालय की संवैधानिक पीठ के द्वारा ई.वी. चिन्नैया बनाम आंध्रप्रदेश राज्य के मामले में निर्णय पारित किया गया था कि अनुसूचित जातियों एवं जन जातियों के बीच एक समरूपता है सभी जातियां समान वर्ग में आती है इसलिए जाति, जातियों के बीच उप वर्गीकरण नहीं किया जा सकता। डॉ० अम्बेडकर जी के द्वारा रचित भारतीय संविधान के भाग-3 मूल अधिकार में समता का अधिकार प्रदान किया गया है। विधि के समक्ष समता अनुच्छेद 14 में उल्लेखित किया गया है और अनुच्छेद 15 में लिखा गया है कि राज्य किसी भी नागरिक के विरूद्ध केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्म के स्थान अथवा इनमें से किसी के आधार पर विभेद नहीं करेगा। किन्तु भारतीय संविधान की मूल अवधारणा को खंडित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के द्वारा 01 अगस्त 2024 में निर्णय पारित किया गया है जिसमें जातियों के बीच उक्त निर्णय से अनेकों मतभेद उत्पन्न होना निश्चित है। अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लोग आपस में एकता और अखण्डता को विभेद नहीं करना चाहते और हम आपस में एकता और अखण्डता बनाए रखना चाहते है और माननीय सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा पारित निर्णय को निरस्त किए जाने की मांग कर संविधान के अनुच्छेद 341, 342 के तहत अनुसूचित जाति/अनु जनजाति को उनकी जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण की व्यवस्था कराई जायें तथा संविधान की अनुसूची 9 में रखें जाने की मांग के साथ 12 सूत्रीय मांग को लागू करने जैसे –
(1) – आरक्षण का वर्गीकरण एवं क्रीमिलेयर का निर्णय तत्काल निरस्त किया जावे।
(2) – 01 अगस्त 2024 का सुप्रीम कोर्ट का फैसला तत्काल रद्द करते हुए अध्यादेश के माध्यम से पूर्ववत आरक्षण यथावत किया जावे।
(3) – पूना पैक्ट रद्द किया जावे।
(4) – कालेजियम व्यवस्था (जजों द्वारा जजों की नियुक्ति) की प्रक्रिया को समाप्त करने के लिए संविधान में नियमानुसार नियम बनाए जाए।
(5) – जजों की नियुक्ति हेतु न्यायिक आयोग का गठन किया जाये नियुक्तियों में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के वर्ग के समुह हो सके।
(6) – विभिन्न परीक्षाओं के लिए जो चयन मंडल का गठन किया जाता है जाति/जनजाति समुदाय के सदस्यों को नियमानुसार नियुक्त किया जाये।
(7) – परीक्षा में लेटरल एंट्री की गलत प्रक्रिया को तत्काल समाप्त किया आरक्षण व्यवस्था के अन्तर्गत बैकलॉग पदों की भर्ती तुरंत की जावे।
(8) – पुरानी पेंशन व्यवस्था पुनः लागू की जावे।
(9) – संवैधानिक संस्थाओं का सरकार द्वारा दुरूपयोग समाप्त कर उन्हें स्वायत रखा जाये।
(10) – पूरे देश में जातिगत जनगणना कराई जावे।
(11) – फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी कर रहें लाखों फर्जी लोगों पर नियमानुसार कानूनी कार्यवाही की जाये।
(12) – ठेकाप्रथा समाप्त कर सफाई कर्मचारियों को नियमित सरकारी कर्मचारी घोषित फिर जाकर उसका लाभ उन्हें दिलाया जाये।
इस मौके पर गहन सिंह भलावी पूर्व सदस्य जिला पंचायत, ओमकार सिंह तिलगांम, संतोष पुसाम, प्रीतमसिंह उइके,रमाशंकर महोबिया, राजू मेहरा, पीतम पाल, प्रकाश डेहरिया, कैलाश डेहरिया , रवि कुमरे रामनरेश आर्मो, महेतसिंह उइके, अशोक कनासिया, जोगीलाल सैयाम ,वनवारी लाल झारिया, रामनरेश आर्मो, महेश उइके, एस पी रावतेल, ज्बाबसिंह, सुरेंद्र भलावी, मुकेश मर्रापे, काशीराम पुसाम, आर एस खुरसंगे, महेंद्र ग्वालिया, अशीश डेहरिया, सुनील डेहरिया, नरेंद्र बरकड़े, सुरजसिंह परते, शिवकुमार परते, ओमकार पुसाम, रामलाल उइके, चमरू लाल मशराम, श्याम झारिया, सुमतलाल अरमोती, रमेश सैयाम सहित अनुसूचित जनजाति अनुसूचित जाति वर्ग के अन्य लोगों की उपस्थिति थी।