अतिक्रमणकारियों से सांठगांठ कर पटवारी दे रहे गलत रिपोर्ट
संदेह के घेरे में हैं पटवारी की जांच रिपोर्ट
डुंगरिया गांव के सरपंच पति एवं उसके भाई ने मिलकर किया सैकड़ों पौधों का कत्ल
सरकारी भूमि पर कब्जा करने के उद्देश्य से काटे हरेभरे पेड़
ग्रामीणों में आक्रोश, उच्च अधिकारियों से कार्रवाई की मांग
केवलारी। एक तरफ शासन-प्रशासन “एक पेड़ मां के नाम” अभियान के अंतर्गत ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाने का आह्वान करने के साथ ही लाखों करोड़ों पौधे लगाने का दम्भ भर रहा है। वहीं दूसरी तरफ भू माफियाओं के द्वारा हरे भरे पेड़ो की बलि देकर उस भूमि में अपना कब्जा करने से भी परहेज नही कर रहे हैं।
आपको बता दें कि केवलारी विकासखंड के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत डुंगरिया जहां पर सरपंच पति ने अपने भाई के साथ मिलकर सरकारी भूमि में कब्जा करने के उद्देश्य से हरे भरे पेड़ो की बलि दे दी है।
गौरतलब है कि ग्राम पंचायत डुंगरिया के अधीन शासकीय भूमि बड़े झाड़ के जंगल में कलेक्टर के आदेशानुसार वर्ष 2017-18 में ग्राम पंचायत द्वारा फलदार, छायादार एवं सागौन के लगभग 500 से 600 पौधे/वृक्ष लगभग ढाई से तीन एकड़ भूमि में लगाए गए थे। इन पेडों को ग्राम के सरपंच पति पवन साहू एवं उसके भाई घनश्याम साहू द्वारा जबरन ट्रेक्टर चला कर नष्ट कर दिया गया और उक्त भूमि पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया गया है।
ग्रामीणो ने अधिकारियों से लिखित शिकायत करते हुए मांग की है कि उक्त भूमि से तत्काल अवैध कब्जा हटाकर सरपंच पति पवन साहू एवं उसके भाई घनश्याम साहू के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जावे। यही नही बल्कि ग्रामीणों ने सरपंच पद का दुरुपयोग करने पर महिला सरपंच को भी तत्काल पद से हटाने की मांग की है। लेकिन सम्बंधित उच्चाधिकारियों द्वारा जांच के नाम पर खानापूर्ति करते हुए आज तक उक्त आरोपियों के विरूद्ध कोई वैधानिक कार्यवाही नही की गई है, जिसके चलते इन आरोपियों के हौसले बुलंद होते नज़र आ रहे हैं, उन्हें शासन प्रशासन का कोई ख़ौफ़ नही है। ऐसा प्रतीत होता है कि इन्हें कोई राजनीतिक एवं प्रशासनिक संरक्षण प्राप्त है, जब तो लाख शिकायतों के बावजूद भी इन पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है, साथ ही स्थानीय प्रशासन की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लग रहे हैं।
संदेह के घेरे में हैं जांच, राजस्व एवं जनपद के जांच अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध
डुंगरिया गांव में सरकारी भूमि पर कब्जा करने के उद्देश्य से सैकड़ों पौधों को नष्ट करने के मामले में सरपंच पति पवन साहू और उनके भाई घनश्याम साहू पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि इस अवैध अतिक्रमण की जांच संदेह के घेरे में है, और जांच अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है।
जबकि डुंगरिया गांव में अतिक्रमण की शिकायत पर तहसीलदार द्वारा मौके की जांच के लिए राजस्व कर्मचारियों की एक टीम बनाई गई थी। जांच के दौरान मौके में सैकड़ों ग्रामीणों सहित मीडिया की टीम भी उपस्थित थी, जहां ग्रामीणों के आरोप के अनुसार सरपंच पति पवन साहू एवं उसके भाई घनश्याम साहू द्वारा कब्जा करने के उद्देश्य से ट्रेक्टर चलाकर हरेभरे पेड़ पौधों की बलि दी है। मौके पर पटवारी द्वारा पंचनामा तैयार किया गया जिसमें स्पष्ट रूप से सरपंच पति पवन साहू का नाम अतिक्रमणकारी के रूप में लिखा गया था।
लेकिन आरोप है कि पटवारी निशांत गोल्हानी ने सरपंच पति से मिलीभगत कर आवैधनिक रूप से उक्त रिपोर्ट से सरपंच पति पवन साहू का नाम हटा दिया एवं गलत रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को पेश की गई। पटवारी निशांत गोल्हानी द्वारा गलत रिपोर्ट देकर सरपंच पति को बचाने का प्रयास किया था।
भाजपा नेता प्रकाश राय ने दायर की याचिका
वहीं इस पूरे मामले को लेकर भाजपा नेता प्रकाश राय ने इस मामले में अधिकारियों द्वारा कार्यवाही न किए जाने पर न्यायालय में प्रकरण दायर किया, जो वर्तमान में विचाराधीन है। न्यायालय नायब तहसीलदार द्वारा मौके की जांच के लिए पटवारी को नियुक्त किया था, लेकिन आरोप है कि वर्तमान पटवारी द्वारा अतिक्रमणकारियों से मिलीभगत कर गलत रिपोर्ट न्यायालय में पेश की है। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में उक्त कब्जे को रिक्त बताया है, जबकि वास्विकता में यदि नायब तहसीलदार मौके में जाकर जांच करेंगे तो वहां स्पष्ट रूप से उस भूमि की जुताई बखराई हो चुकी है मात्र फसल की बुवाई रह गई है, ऐसी स्थिति में पटवारी मेडम द्वारा कैसे अपने पद का दुरूपयोग कर बिना किसी भय के नियम कानूनों को ताक पर रखकर मिथ्या रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत की गई। इसके पहले भी पूर्व पटवारी निशांत गोल्हानी ने बार-बार गलत रिपोर्ट देकर सरपंच पति को बचाने का प्रयास किया था।
पूर्व पटवारी गोल्हानी एवं वर्तमान पटवारी दिव्या कार्तिकेय की कार्यप्रणाली संदिग्ध
पूर्व पटवारी निशांत गोल्हानी और वर्तमान पटवारी दिव्या कार्तिकेय पर आरोप है कि उन्होंने अतिक्रमणकारियों से मिलीभगत कर उन्हें बचाने का प्रयास किया जा रहा है। ग्रामीणों का मानना है कि राजस्व और जनपद पंचायत के कुछ अधिकारी भी सरपंच पति को संरक्षण दे रहे हैं और इस कारण दोषियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई में देरी हो रही है। ग्रामीणों का कहना है कि इस अवैध कब्जे के बारे में शिकायतों के बावजूद, स्थानीय प्रशासन द्वारा अब तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई है।
इस कृत्य से आक्रोशित ग्रामीणों ने उच्च अधिकारियों से मांग की है कि दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए और अतिक्रमणकारियों को संरक्षण देने वाले अधिकारियों की भी जांच कर उन्हें निलंबित किया जाए। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि प्रशासन इस पर सख्त कदम नहीं उठाता, तो वे भूख हड़ताल करने को मजबूर होंगे।
यह मामला सरकारी अभियान “एक पेड़ माँ के नाम” की वास्तविकता पर भी सवाल खड़े कर रहा है। जहां सरकार वृक्षारोपण को बढ़ावा दे रही है, वहीं कुछ प्रभावशाली लोग अवैध कब्जे के लिए हरियाली को नष्ट कर रहे हैं। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि अतिक्रमणकारियों को संरक्षण देने वाले पटवारियों के खिलाफ तत्काल निलंबन की कार्यवाही की जाए, ताकि भविष्य में कोई कर्मचारी न्यायालय या उच्चाधिकारियों को भ्रमित न कर सके। साथ ही सरकारी भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कर दोषियों को सख्त सजा दी जाए।
इनका कहना है –