भोपाल। प्रदेश में नगरीय निकायों के अध्यक्षों के विरुद्ध जिस तरह से अविश्वास प्रस्ताव आता है, वैसा ही अब सरपंचों के विरुद्ध भी लाया जा सकेगा। इसके लिए सरकार पंचायत राज अधिनियम में संशोधन कर नया प्रावधान करने जा रही है। इसके लिए पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा अध्यादेश लाया जाएगा। इसमें यह प्रावधान किया जाएगा कि तीन चौथाई पंच के हस्ताक्षर से ही आवेदन पत्र स्वीकार होगा और यह तीन वर्ष की कार्यावधि पूर्ण होने पर ही लाया जा सकेगा।प्रदेश में अभी तक नगरीय निकायों के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाने का ही प्रावधान था। इसमें भी दो वर्ष की कार्यावधि पूरी होने पर दो तिहाई पार्षदों के समर्थन से प्रस्ताव लाया जा सकता था। इस अवधि को बढ़ाकर सरकार ने तीन वर्ष की कार्यावधि और तीन चौथाई पार्षदों का समर्थन अनिवार्य कर दिया है। यही व्यवस्था सरपंच के लिए भी लागू करने की मांग विभिन्न संगठनों ने उठाई थी। पिछले दिनों पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक में इस प्रस्ताव पर सहमति जताई। इसके बाद विभाग ने अधिनियम में संशोधन की तैयारी प्रारंभ दी है।विभागीय अधिकारियों का कहना है कि चूंकि अभी विधानसभा का कोई सत्र प्रस्तावित नहीं है, इसलिए अध्यादेश के माध्यम के संशोधन किया जाएगा। प्रारूप तैयार करके वरिष्ठ सचिव समिति को भेजा जाएगा और फिर विधि एवं विधायी विभाग से परिमार्जित कराकर अंतिम निर्णय के लिए अगले माह तक कैबिनेट के समक्ष प्रस्तुत किया जा सकता है।