पुलिस की कार्यप्रणाली पर उठ रहे सवाल
धनौरा। मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार के शासनकाल में खुलेआम चल रहे अवैध कारोबार इन दिनों चरम पर है, वहीं शासन प्रशासन में बैठे नुमाईंदे इन अवैध कारोबार को चरम में पहुंचाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। आपको बता दें कि प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा घोषणावीर बनकेे अपने संबोधन में प्रदेश की आम जनता को कहा जाता है कि भ्रष्ट अधिकारियों को बक्शा नही जाएगा, इनकी जानकारी देकर ईनाम पाओ, परंतु ठीक इसके विपरीत दूसरी ओर ये अधिकारी अपनी कुटिलता वाली कार्यशैली को अमलीजामा पहनाने में नहीं चूक रहे हैं, जिसका उदाहरण इन दिनों मध्यप्रदेश के हरेक जिलों में देखने को मिल सकता है।
गौरतलब है कि म.प्र. में बनी भाजपा सरकार की घोषणा से प्रदेश की आम जनता को काफी उम्मीदें थीं, इन आशाओं उम्मीदों को पूरा करने की चाहत में म.प्र. की आम जनता ने भाजपा पार्टी के पक्ष में मतदान कर विजयश्री दिलवायी। किन्तु ठीक इसके विपरीत म.प्र. सरकार द्वारा सरकारी आदेशों-निर्देशों की मंशा के विपरीत व्यौहारिक रूप में भाजपा सरकार सफल नहीं दिख रही है। जिससे आम जनता खास तौर पर अत्यधिक परेशान नजर आ रही है। जिसका छोटा सा उदाहरण म.प्र. के सिवनी जिले के धनौरा क्षेत्रों में देखने को मिल रहा है, थाना धनौरा समेत सम्पूर्ण ग्रामीण क्षेत्रों में सट्टे जुंऐ का अपराध चाय-पान की दुकानों की तरह व्याप्त है।
ज्ञात होवे कि जिले के धनौरा थाना सहित ग्रामीण अंचलों में सट्टे का कारोबार इस तरह फैला हुआ है, जिसमें पुलिस प्रशासन की उदासीनता भी साफ झलक रही है, लोग इसमें बर्बाद होते चले जा रहे हैं, क्योंकि वे सट्टे की लत नही छोड़ पा रहे हैं। सट्टे की लत में लगे इन लोगों को न रात दिखती और न ही दिन हर समय एक ही धुन गुणा भाग में लगे रहते हैं, और ओपन क्लोज पता करने के चक्कर में प्रातः सबेरे से धनौरा में आकर ये तत्व ऐसे जड़ जमा लेते है कि फिर देर रात्रि तक घर जाने का नाम नही लेते है। वहीं शहरी क्षेत्रों में इस लत के अब ग्रामीण क्षेत्रों में पहुॅंच जाने के कारण ग्रामीण क्षेत्रो के अनेक परिवार बुरी तरह बर्बाद होते नजर आ रहे है, इसके बाद भी उनकी यह सट्टे की लत छूटने का नाम नही ले रही है, तुरन्त फुरन्त में ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाने की जुगत में अंकगणित के गुणा भाग में उलझे इन लोगों को धनौरा क्षेत्र में चल रहे सट्टे ने इस कदर अपनी गिरफ्त मे ले लिया है कि इसकी ऐतिहासिक दोहाई देना भी दोयम समझी जायेगी। वहीं शहरी क्षेत्रों में वैसे भी पहले से ही इस आपा-धापी की महामारी सट्टे की गिरफ्त में है, वहीं अब इससे ग्रामीण क्षे़त्र भी अछूता नही रहा है। पहले जहाॅं क्षेत्र के लोग बडे़ शहरों सहित कन्हीवाडा़, भोमा, सिवनी जाकर सट्टा लगाते थे किन्तु पिछले कुछेक वर्षों से अब धनौरा में ही सट्टा पट्टी लिखने का कार्य प्रारम्भ होने के कारण लोगों को बाहर और अन्य शहरों की ओर नहीं जाना पड़ता है, और तो और जबसे मोबाईल आये हैं तबसे ज्यादातर लोग कॉल, मैसेज व्हाट्सएप के माध्यम से सट्टा पट्टी लिखवाकर इसका परिणाम आने का इंतजार करते हैं। साथ ही फोन पे, गूगल पे के माध्यम से पैसों का लेनदेन करते हैं। अगर पुलिस इनके मोबाईल जब्त कर इनकी सिर्फ कॉल डिटेल और मैसेज चैक करे तो पता लग जायेगा कि किस तरह से ये सटोरिये अपने अवैध व्यापार को अंजाम दे रहे हैं।
बताया जाता है कि अकेले धनौरा क्षेत्र में सट्टा पट्टी लिखने वाले एक नहीं अनेक लोग सक्रिय है जो घूम-घूम कर कुछ अस्थायी अड्डे बनाकर सट्टा पट्टी लिखकर लोगो को कंगाल करने में जुटे हुए हैं। गौरतलब है कि धनौरा क्षेत्र के आसपास के ग्रामों के बडे़ बुजुर्ग तो नही किन्तु इनकी सन्ताने अपने बुरे शौक को पूरा करने हेतु सट्टे का सहारा लेकर जिस तरह रातों रात लखपति बनने का सपना देख रही है, उससे धनौरा क्षेत्र में सट्टे के व्यापार ने जोर पकड़ लिया है, एक अनुमान के अनुसार धनौरा में प्रतिदिन क्षेत्र के दो दर्जन से अधिक ग्राम के लोग सट्टा पट्टी लिखवाने रोज आते है, और धनौरा में यह सट्टा पट्टी लाखों रूपये की होती है। वहीं सट्टे से तबाह हो रहे परिवार को देखते हुए कभी कभार पुलिस अपना रौब दिखाती है, किन्तु उनमें भी बड़ी मछलियों को छोड़ दिया जाता है, क्योंकि उनसे पुलिस की मिली भगत समझ आती है, जब तो अनेकों शिकायतों के बावजूद भी इन सटोरियों के प्रति कोई ठोस कदम नही उठाये जा रहे हैं, जिससे इन सटोरियों के होंसले बुलन्द होते जा रहे है, इन्हें किसी का ख़ौफ़ नही है।
उल्लेखनीय है कि जिला मुख्यालय से लेकर ग्रमीण क्षेत्रों में खुलेआम चल रहे अवैध सट्टे के व्यापार को रोकने के लिए जिला प्रशासन द्वारा अभी तक कोई भी ठोस कदम नही उठाये जा रहे है, जिसमें पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली में भी प्रश्न चिन्ह उठना लाजमी है, सारा प्रशासन सटोरियों के सामने मौन नजर आ रहा है। आये दिन खुलेआम चल रहे सट्टों की शिकायतों में शासन के सख्त निर्देशों के बावजूद भी इन अवैध धन्धों पर जिले के अलाधिकारियों द्वारा लगाम नही लगाया जा रहा है। जब जिला प्रशासन ही इन अवैध कृत्यों को रोकने में दिलचस्पी नही दिखा रहा है तो इस हालात में स्थानीय प्रशासन क्या कर सकती है..!
प्राप्त जानकारी के अनुसार धनौरा क्षेत्र में सट्टा खिलाने वालों का आलम यह है कि ये लोग नवयुवकों शिक्षित बेरोजगारों को अपना शिकार बनाकर पहले तो इनकी खुशामद कर इनसे व्यवहार बनाते है। फिर इन्हे सट्टे की लत लगाकर खेलना एवं खिलाना सिखाया जाता है जिससे क्षेत्र का नवयुवक अपने ही घर की संपत्ति को बेचकर सट्टे की लत में बर्बाद होकर अपने एवं अपने परिवार के भविष्य को बर्बादी की ओर अग्रसर हो रहा है। धनौरा के सट्टा किंग के नाम से जाने जाने वाले व्यक्ति को तो हर कोई जानता है, किन्तु इस सट्टा किंग का पूरा कारोबार संभालने वाले इसके सरगना को तो कोई नहीं जानता जिसकी वजह से ये सट्टे का कारोबार फलफूल रहा है।
अब देखना यह है कि समाचार प्रकाशित होने के उपरांत पुलिस कितने सक्ती से धनौरा क्षेत्र में सट्टा किंग समेत प्रत्येक सट्टा खिलाने वाले के विरूद्ध कार्यवाही करती है या नही? यदि पुलिस द्वारा प्रत्येक सट्टा खिलाने वाले के विरूद्ध कार्यवाही नहीं करती है तो इससे यह स्पष्ट हो जायेगा कि उक्त सट्टे के व्यापार में पुलिस भी बराबर की साझेदार है और पुलिस का सटोरियों को पूरा संरक्षण प्राप्त है? अगले समाचार में प्रत्येक सट्टा खिलाने वालों का नाम व पता उजागर किया जायेगा।