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खबर का असर…. बचपन प्ले स्कूल की जांच के लिए डीईओ सिवनी ने पुनः आदेश जारी किया

बिना शिकायतकर्ता के कैसे हो गई जांच? , जांच में लीपापोती के लगे थे आरोप

केवलारी। केवलारी बचपन प्ले स्कूल का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है, बचपन प्ले स्कूल केवलारी के द्वारा एक ही बुक डिपो से पुस्तक और एक ही कपड़े की दुकान से कपड़े लेने का एक स्कूल प्रशासन के द्वारा नोटिस सोशल मीडिया में वायरल हो रहा था जिसके बाद समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशन होने के बाद जिला शिक्षा विभाग के द्वारा संज्ञान लिया गया, जिला शिक्षा विभाग में नोटिस जारी किया नोटिस के जवाब संतुष्ट नहीं पाए जाने पर जांच कमेटी बनाई गई जांच कमेटी के द्वारा जो प्रतिवेदन दिया गया उसमें भी जिला शिक्षा अधिकारी संतुष्ट नहीं दिखे इसके बाद पुनः उन्होंने बचपन प्ले स्कूल के बच्चों के परिजनों से कथन नही लेने के लिए एक ओर आदेश 30 मई 2024 को को जारी किया जिसमें बच्चों की परिजनों की कथन लेने के लिए निर्देशित किया गया है लेकिन मन सोचने वाला यह विषय है क्या स्कूल प्रशासन पर अभी तक शासन के द्वारा कोई कार्रवाई नहीं किया जाना और उसके बाद परिजनों के कथन लेने के निर्देश देने पर क्या परिजन इस बचपन प्ले स्कूल के बिना दबाव में आकर कथन दे पाएंगे जिससे बचपन प्ले स्कूल की एक ही बुक डिपो से पुस्तक खरीदने वाला राज खुल पाएगा???

एलबीएफ प्रकाशन से लाभ उठा रहा बचपन प्ले स्कूल केवलारी!

जन चर्चा में यह भी है की बचपन से स्कूल के द्वारा इंदौर से प्रकाशित एलबीएफ पुस्तकें 50% कमीशन के लाभ बुलवाकर पारस बुक डिपो केवलारी के द्वारा परिजनों को महंगे दामों में दी जा रही हैं, सूत्रों के मुताबिक के अनुसार एक ही कक्षा की किताबें जो लगभग समान पृष्ठों और समान गुणवत्ता की हीन के बाद भी उनकी कीमतें में भारी भरकम अंतर देखने को मिल रहा है। सूत्रों के अनुसार एलबीफ पब्लिकेशन की किताबें 50 प्रतिशत के कमिशन के साथ केवल स्कूल प्रबंधन को उपलब्ध कराई जाती हैं। जो स्कूल प्रबंधन स्थानीय बुक डिपो के माध्यम से 10% के कमिश्नर के साथ अभिभावकों तक पहुंचती हैं।

एनसीआरटी की किताबें क्यो नही चला रहा स्कूल

सूत्रों की माने तो बचपन प्ले स्कूल द्वारा नियम कानून को दरकिनार करते हुए 5वीं कक्षा तक एनसीआरटी की किताबों को नहीं चलाया जा रहा है क्युकी ये कितने अभिभावकों को आसानी से किसी भी बुक डिपो में आसानी से कम कीमत में मिल जाती है परंतु अधिक मुनाफा कमाने के लिए स्कूल जिम्मेदार शिक्षा विभाग के अधिकारियों को मोटा कमीशन देकर प्राइवेट पब्लिकेशन की पुस्तकों को 50% कमीशन में बुलवाकर अपनी चहेती दुकान में 10% कमीशन देकर स्वयं बिकवाती हैं जिसके लिए बकायदा स्कूल के नोटिस बोर्ड में उक्त बुक डिपो का नाम लिखकर अधिभावको से पुस्तक खरीदने का दबाव बनाया जाता है।

शिकायत खेत की जांच खलियान की

शिकायतकर्ताओं द्वारा जिला शिक्षा अधिकारी को मय प्रमाण शिकायत की गई थी की बचपन प्ले स्कूल द्वारा अवैध रूप से एक बुक डिपो का नाम स्कूल नोटिस बोर्ड ने लिखा गया है जो नियम विरुद्ध है। शासन के नियमानुसार स्कूल को कम से कम 3 दुकानों की सूची लगाना अनिवार्य हे। शिकायत के बाद स्कूल द्वारा आनन फानन में 2 अन्य बुक डिपो के नाम जारी कर दिए गए परंतु आज भी पारस बुक डिपो के अलावा किसी भी बुक डिपो में इस स्कूल की बुक नहीं है जो जांच का विषय है। इसके साथ ही 5 वी तक इस स्कूल में एनसीआरटी की किताबे नही चलाई जा रही हैं जिसकी भी जांच विभाग द्वारा किया जाना चाहिए।

praveen dubey

praveen dubey

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