बचपन प्ले स्कूल की जांच के आदेश के एक महीने बाद भी कार्यवाही शून्य
केवलारी। एक ओर मध्यप्रदेश में मोहन सरकार शिक्षा माफियाओं पर नकेल कसने हेतु अनेक कठोर कदम उठाए जा रहे है। जबलपुर कलेक्टर द्वारा 11 प्राइवेट स्कूलों पर कार्यवाही करते हुए 6 प्रिंसिपल सहित 20 लोगों पर एफआईआर दर्ज करते हुए 81 करोड़ रुपए वसूले गए हैं।
वहीं दूसरी ओर सिवनी जिले में शिक्षा विभाग ही शिक्षा माफियाओं के संरक्षक की भूमिका अदा करते नजर आ रहे हैं।
मामला सिवनी जिले के केवलारी विकासखंड का है जहां बचपन प्ले स्कूल द्वारा शिक्षा के नाम पर खुली दुकान चलाई जा रही है। बचपन प्ले स्कूल द्वारा बच्चों को स्टेनरी एवम गणवेश चिन्हित दुकान से ही खरीदने का दबाव बनाया जा रहा था। जिसके लिए स्कूल प्रबंधन ने अपने नोटिस बोर्ड में नियम विरुद्ध तरीके से पारस बुक डिपो नामक दुकान का नाम अंकित किए गया था। जिसकी शिकायत 16/4/2024 को जिला शिक्षा अधिकारी सिवनी को की गई थी। शुरू से ही जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा इस मामले में दिलचस्पी नहीं दिखाई जा रही थी परंतु केवलारी पत्रकार संघ द्वारा मामले की गंभीरता को देखते हुए दवाब बनाया गया। जिसके बाद 22 अप्रैल को जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा मामले की जांच करने हेतु जांच दल गठित किया। जांच दल में बगलई हाई स्कूल के प्राचार्य चूरामन बघेल एवम विकासखंड शिक्षा अधिकारी केवलारी को जांच कर प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के आदेश दिए गए।
परंतु जांच आदेश के बाद से ही जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा बनाए गए जांच दल में सम्मिलित अधिकारियों की निष्पक्षता पर सवालिया निशान खड़े होने लगे थे । सूत्रों की माने तो जांच दल में शामिल विकासखंड शिक्षा अधिकारी बीमारी के चलते छुट्टी पर थे तो वहीं दूसरे जांच अधिकारी चूरामन बघेल और बचपन प्ले स्कूल के संचालक के घनिष्ठ रिश्ते जगजाहिर है। सूत्र बताते हैं कि जांच अधिकारी चूरामन बघेल के प्रभारी विकासखंड अधिकारी रहते ही इस स्कूल को मान्यता दिलाई गई थी और अपने करीबी संबंध के चलते चूरामन बघेल ने अपने पद का उपयोग करते हुए अनेक नियमो को दरकिनार करते हुए इसी बचपन प्ले स्कूल को सरलता से मान्यता दिलाई थी।
एक तरफा करीबी संबंध दूसरी तरफ निष्पक्ष कार्यवाही- बुरे फंसे चूरामन
जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा जांच अधिकारी बनाए जाने पर जांच अधिकारी चूरामन बघेल ने अपने कर्तव्य को तरकीनार करते हुए संबंधों को महत्व देते हुए बिना शिकायतकर्ता की जानकारी के बचपन प्ले स्कूल के पक्ष में प्रतिवेदन बनाकर जिला शिक्षा अधिकारी को सौंप दिया है।जबकि शिकायत करताओ द्वारा मय प्रमाण शिकायत की गई थी। परंतु इन जांच अधिकारियों ने सारे प्रमाणों को अनदेखा करते हुए बचपन प्ले स्कूल के पक्ष में प्रतिवेदन बनाकर मामले में लीपापोती कर दी और हमेशा की तरह शिक्षा माफियाओं के पक्ष में जांच रिपोर्ट तैयारी लगभग हो चुकी है।
अब देखना होगा शिक्षा विभाग के इस बिकाऊ सिस्टम में जिला शिक्षा अधिकारी क्या भूमिका निभाते हैं? या मामले की निष्पक्ष जांच पुनः किसी ईमानदार एवं निष्पक्ष जांच अधिकारियों से कराई जाती या वे भी इस सिस्टम में हिस्सेदारी बनकर शिक्षा के व्यापारीकरण में शामिल हो जायेंगे ?