बैंक कैशियर की नियुक्ति पर उठे सवाल, फर्जी मार्कशीट लगाने के लगे आरोप
शिकायत कर्ता को डरा धमका और लालच देकर मामला वापिस लेने के लिए सक्रिय हुए दलाल
केवलारी। इन दिनों केवलारी विकासखंड में भ्रष्टाचार गबन जैसे मामलों की झड़ी सी लग गई है। अभी लोग तहसील के करोड़पति बाबू की करतूत को भूले भी नही थे कि केवलारी विकासखंड के खैररांजी में संचालित बैंक ऑफ महाराष्ट्र की शाखा में पदस्थ बैंक मैनेजर और कैशियर की मिलीभगत से कई ग्राहकों के खाते खाली कर दिए गए ।
प्राप्त जानकारी के अनुसार शिकायतकर्ता विपतलाल साहू पिता नंदलाल साहू निवासी खैररांजी ने पुलिस थाना केवलारी में लिखित शिकायत दी है। जिसमे शिकायतकर्ता ने बैंक ऑफ महाराष्ट्र के बैंक मैनेजर और कैशियर पर गंभीर आरोप लगाया है। शिकायतकर्ता के अनुसार बैंक ऑफ महाराष्ट्र में उनके खाता क्रमांक 601746500918 में 89,333 रुपए जमा किए गए थे। परंतु बैंक के कैशियर द्वारा बिना किसी विड्राल या कागजी कार्यवाही के विपत लाल के खाते से 75 हजार रुपए कैशियर द्वारा निकाल लिए गए। शिकायतकर्ता विपत लाल के अनुसार यह घोटाला बैंक द्वारा कई महीनों से चल रहा है। वहीं अनेकों ग्रामीणों ने बताया कि कई लोगो के खाते से बैंक कर्मचारियों द्वारा इसी तरह से बिना किसी जानकारी के ग्राहकों के खाते से अन्य खातों में एनईएफटी माध्यम से ट्रांसफर कर लिए जाते थे और जब किसी ग्राहक को अपने पैसे काटने की जानकारी प्राप्त होती थी तो शिकायत मिलने पर बैंक मैनेजर और कैशियर से शिकायत न करने के लिए बोलकर उनके पैसे वापस उनके खाते में डाल दिए जाते थे। अब सवाल यह उठता है की बैंक में कई महीनों से इस तरह का फर्जीवाड़ा चल रहा था और बैक के वरिष्ठ अधिकारियों को इसकी कोई जानकारी नहीं थी?
शिकायतकर्ता को शिकायत वापस लेने हेतु दी जा रही धमकियां और प्रलोभन
सूत्रों की माने तो इस मामले में दलाल अब सीधे शिकायतकर्ता को अपने पक्ष में लेकर शिकायत वापस लेने की जुगत में हैं। तो वहीं कुछ लोग शिकायत वापस लेने हेतु शिकायतकर्ता को मोटी रकम देने के लिए रुपए लेकर घूम रहे हैं। अब देखना होगा कि इस बड़े भ्रष्टाचार के मामले के सार्वजनिक होने के बाद क्या शिकायतकर्ता शिकायत वापस लेकर मोटा मुनाफा कमा लेता है या अपनी शिकायत में अडिग रहकर भ्रष्ट बैंक कर्मियों को सजा दिलवाता है ?
बैंक केशियर की नियुक्ति पर भी उठ रहा सवाल
इस मामले के सामने आने के बाद अब बैंक के केशियर की नियुक्ति पर भी सवाल उठने लगे हैं। आपको बता दें बैंक केशियर तिवारी बैंक ऑफ महाराष्ट्र में चपरासी के पद में पदस्थ था । सूत्रों की माने तो 10 पास चपरासी फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से चपरासी से सीधे प्रमोशन पाकर केशियर बन गया और भ्रष्टाचार से लूटी राशि से जल्द ही बैंक मैनेजर बनने के सपने देख रहा है। वहीं बैंक और महाराष्ट्र के डीएम भी इस फर्जी नियुक्ति में शमिल होने और मामले को दबाने के लिए लंबा सेटलमेंट कर चुका है जिसके कारण इतना बड़ा भ्रष्ट्राचार के बाद भी इन बेशर्म बैंक कर्मियों के माथे में जरा सी सिकन नहीं है। वहीं ग्रामीण ने इस मामले में केशियर तिवारी की नियुक्ति की निष्पक्ष जांच की मांग की है।
बैंक मैनेजर के संरक्षण से हो रहा गोलमाल
ग्रामीणों के अनुसार बैंक के कर्मचारियों और मैनेजर की मिलीभगत से बैंक में आए दिन कोई न कोई व्यक्ति के खाते से बिना किसी जानकारी और फार्म भरे रूपये किसी अन्य खातों में एनईएफटी कर ट्रांसफर कर दिए जाते थे और किसी को कानोकान खबर नही होती थी। जिससे साफ प्रतीत होता हे कि बैंक के समस्त अधिकारी और कर्मचारी इस फर्जीवाड़े में बराबर के हिस्सेदार थे
अब देखना होगा कि मामला सार्वजनिक होने के बाद आए
और उच्च अधिकारी भी इस मामले में क्या कार्यवाही करते हैं?