सरपंच संघ अध्यक्ष राजेश पटेल ने की लिखित शिकायत
केवलारी – भारतीय स्टेट बैंक ग्राहकों को गुणवत्तायुक्त सेवा प्रदान करने के दावे करती है परंतु स्टेट बैंक के कर्मचारियों द्वारा ग्राहकों से बदसुलूकी करने के मामले लगातार सामने आते रहते हैं जिससे ग्राहकों का स्टेट बैंक से मोहभंग होता जा रहा है और दूसरे बैंकों की ओर आकर्षित हो रहे हैं।
ऐसा ही एक मामला केवलारी मुख्यालय में स्थित भारतीय स्टेट बैंक से सामने आया है जहां स्टेट बैंक के एक ग्राहक से बैंक के फील्ड ऑफिसर प्रतीक राय द्वारा बदसलूकी करने की शिकायत की गई है। दरअसल केवलारी के प्रतिष्ठित व्यापारी एवं आलोनीखापा के सरपंच राजेश द्वारा प्रबंधक स्टेट बैंक केवलारी को लिखित शिकायत की गई। जिसमें शिकायत की गई कि शिकायतकर्ता राजेश पटेल दिनांक 17.04.2025 को लगभग समय 4 बजे स्टेट बैंक शाखा केवलारी गया वहाँ उनके ही ग्राम की महिला शांता बाई जोकि डोकररांजी में निवास करती है । जिनकी जमीन ग्राम अलोनीखापा माल में स्थित है । जिसका प.ह.न. 42, खसरा नं. 74 है जिस पर स्टेट बैंक द्वारा के.सी.सी. बनाई गई थी चूँकि के.सी.सी. का कोई बकाया नही था तो इन्हें अपने खसरा से बंधक हटाये जाने हेतु एक सप्ताह पूर्व लिखित आवेदन दिया गया था परंतु दिनांक 17.04.2025 को किसी प्रकार से कोई कार्यवाही नहीं की गई। इस सम्बन्ध में जब राजेश पटेल उक्त की जानकारी लेने हेतु बैंक शाखा में गया और जाकर फील्ड ऑफिसर प्रतीक राय से बंधक हटाये जाने के लिये बोला गया तब प्रतीक राय द्वारा राजेश पटेल से कहा गयाकि ऐसे तो रोज 100-100 आवेदन आते हैं तो मैंने पूछा लिया इन आवेदनों पर कार्यवाही क्यूं नही होती तो वह मुझ पर भड़क गये और अभ्रदता करने लगें और कहा कि अब आप उठो जिसका काम है वह खुद आयेगा। जिसके बाद राजेश पटेल द्वारा कहा गया कि सर वह महिला पढ़ी लिखी नहीं है आवेदन देने पर भी आपने उनका काम नहीं किये तो वह भड़क गये और राजेश पटेल के साथ गाली-गलौज करने लगे।जिसकी लिखित शिकायत सरपंच राजेश पटेल द्वारा बैंक के प्रबंधक से की गई है। सवाल यह उठता है कि जब एक जनप्रतिनिधि सरपंच संघ के ब्लॉक अध्यक्ष से बैंक कर्मी द्वारा बदसलूकी की जा रही हे तो आम जनता का क्या होगा? वहीं जानकारों की माने तो फील्ड ऑफिसर प्रतीक राय द्वारा आए दिन बैंक के ग्राहकों से बदसुलूकी की जाती है इसके बावजूद भी बैंक प्रबंधक द्वारा अपने बेलगाम अधिकारों पर कोई अनुशासनात्मक कार्यवाही नहीं की जाती । जिससे स्टेट बैंक के ग्राहक अब दूसरे बैंकों में अपना खाता खुलवाकर स्टेट बैंक से नाता तोड़ने पर मजबूर हैं। स्टेट बैंक प्रशासन को चाहिए कि ऐसे गुंडा किस्म के अधिकारियों पर कड़ी कार्यवाही कर लगाम लगाए नहीं तो वो दिन दूर नहीं जब ग्राहकों से बदसुलूकी करने के कारण ग्राहक बैंक से किनारा कर लें।
