काटे गए सैकड़ों हरे भरे पेड़, वन विभाग की भूमिका संदेहजनक
केवलारी – जहां एक ओर सरकार पर्यावरण को संरक्षण प्रदान करने के लिए हर जतन कर रही है जिससे पर्यावरण संतुलन बना रहे जिस पर सरकार पानी की तरह रुपए बहाकर लगातार वृक्षारोपण एवं जागरूकता अभियान चला रही है।
वहीं दूसरी ओर सिवनी जिले में वन विभाग की उदासीनता के चलते वन माफिया बेखौफ होकर हरियाली पर आरा चला रहे हैं।
मामला है सिवनी के केवलारी वन परिक्षेत्र का जहां इन दिनों सोसल मीडिया में एक वीडियो जमकर वायरल हो रहा है। जिसमे केवलारी क्षेत्र के जंगल में सैकड़ों की संख्या में बेसकीमती पेड़ कटे नजर आ रहे हैं। इस वीडियो की पुष्टि हम नही करता परंतु वीडियो में साफ देखा जा सकता है की केवलारी क्षेत्र के भोरगोंदी, अर्जुनझिर,के जंगल के अंदर वन माफियाओं के द्वारा सैकड़ों कीमती पेड़ों को इलेक्ट्रिक आरों की मदद से काट दिया गया है। जंगल से लगे गांवों के ग्रामीणों की माने तो यहां अवैध कटाई के बाद इन बेस कीमती लकड़ियों को वन विभाग के अधिकारियों की मिली भगत से हथियारबंद तस्करों द्वारा आंध्रप्रदेश ले जाकर बेचा जाता है।
वन माफियाओ के आगे क्यों बेबस और लाचार नजर आ रहे जिम्मेदार अधिकारी
जंगल को बचाने के लिए सरकार अपने बजट से करोड़ों रुपए वन विभाग को देती हे । जिससे दिनों दिन कम हो रहे जंगल बच सकें। परंतु केवलारी में इसके विपरीत वन माफियाओं को ना तो वन विभाग का खौफ है और ना ही कानून का डर। क्षेत्र के लोगों का कहना है कि धड़ल्ले से हो रही पेड़ों की कटाई कहीं ना कहीं वन कर्मियों एवम वरिष्ठ अधिकारियों की संलिप्तता की ओर संकेत करती है।
अधिकारी झाड़ रहे पल्ला
इस मामले में जब केवलारी रेंजर अमित सोनी से बात की गई तो उन्होंने कहा ये विडियो हमारे क्षेत्र का नहीं है, और हमारे क्षेत्र में ऐसी कोई अवैध कटाई नही हुई है कहते हुए, बहाने बताते हुए मामले की गंभीरता से पल्ला झाड़ते दिखाई दिए। जबकि नवभारत समाचार ने मय प्रमाण और मौके पर चलकर जांच करने की बात कही तो रेंजर सोनी बहाने बनाते हुए ऑफिस से चले गए और जिसके तुरंत बाद से ही वन विभाग मौके से सबूत मिटाने का में लग गया और आनन फानन में काटे गए पेड़ों के आस पास सूखे और गिरे पेड़ों की कटाई चालू करवा दी गई।जिससे इन अवेध कटाई को वैध दर्शाया जा सके और कहीं न कहीं मामले को दबाया जा सके।
गरीब लकड़ी बेचने वालों पर कार्यवाही कर पीठ थपथपाता हे विभाग
क्षेत्र में बेधड़क अवेध लकड़ी तस्करों द्वारा सैकड़ों पेड़ों को काटा जा रहा है परंतु वन विभाग इन पर कार्यवाही करने की बजाय गरीब वनवासियों,जो जंगल के गिरे हुए पेड़ों की टहनियों को काटकर सिर में रखकर कई किलोमीट शहर में बेचकर सौ दो सो रुपए में बेच अपने परिवार का भरण पोषण करने वाले गरीबों और छोटे मोटे तस्करों पर कार्यवाही की जाती है और प्रेस विज्ञप्ति में विभाग द्वार इन गैरजिम्मेदार अधिकारियों की पीठ थप थपाई जाती है।
सैकड़ों पेड़ कट गए और विभाग को पता ही नहीं
मामला तब और संदिग्ध हो जाता हे कि दर्जनों बीटगार्ड, वन रक्षक, वनोपज जांच नाका, वन समितियां,दिनरात जंगलों में घूमने वाले उड़नदस्तों के होते जंगल में इलेक्ट्रिक आरों की मदद से सैकड़ों पेड़ काट लिए जाते हैं और विभाग को कानोंकान खबर नहीं होती। इतना ही नहीं जानकारी देने के बाद भी जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा कार्यवाही करने की बजाय मामले को दबाने का प्रयास किया जाता है।
जानकारी होने के बाद भी चुप्पी,संदेह के घेरे में वरिष्ठ अधिकारी
इस पूरे मामले की जानकारी केवलारी से लेकर जिला के वरिष्ठ अधिकारियों को भी है परंतु जानकारी के बावजूद भी इनके कानों में जूं नहीं रेंग रही है जिससे इन वरिष्ठ और जिम्मेदार अधिकारियों पर लग रहे गंभीर आरोप सत्य प्रतीत नजर आ रहे हैं। इस मामले में नवभारत समाचार ने केवलारी रेंजर अमित सोनी से बात करनी चाही और इस गंभीर मामले में उनकी प्रतिक्रिया जाननी चाही तो इन्होंने फोन उठाना ही बंद कर दिया और मीडिया से कुछ भी कहने से बचते नजर आए । अनेक बार फोन लगाने पर भी फोन नही उठाया गया।
अब देखना होगा मामला सार्वजनिक होने के बाद भी वन विभाग के जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारी निभाते हैं? या हमेशा की तरह माफियाओं के संरक्षक की भूमिका निभाते हैं ?
इनका क्या कहना है –
आपके द्वारा मुझे जानकारी दी गई है जिसपर एक जांच दल बनाकर निष्पक्ष जांच कराई जाएगी और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
डीएफओ सिवनी