अवैध कटी लकड़ी को बिना कार्यवाही किए ठिकाने लगाते मीडियाकर्मियों ने पकड़ा
केवलारी– विगत 8 जनवरी को केवलारी वन परिक्षेत्र में सागौन के हरे भरे पेड़ों की अवैध कटाई पर समाचार पत्रों में वन विभाग की करतूत प्रकाशित किया गया था। साथ ही पूरी घटना की मय–प्रमाण कटे पेड़ों की जीपीएस लोकेशन के साथ वन विभाग के सीसीएफ एवम् डीएफओ से शिकायत भी की गई थी। जिसके बाद वन विभाग में हड़कंप मच गया । दिनांक 8 जनवरी को ही ग्रामीणों द्वारा जंगल में प्राइवेट वाहन में सागौन की सिल्ली के परिवहन की सूचना पर जागरूक पत्रकारों ने पहुंचकर सोनखार बीट से निजी वाहन में अवैध सागौन से भरी गाड़ी गुजर रही गाड़ी देखी जिसमे सागौन के हरे हरे कटे पेड़ में लकड़ी भरी थी। जिसमें किसी भी प्रकार से ना पी.ओ.आर ना हैमर अंकित था । जब केवलारी वन परिक्षेत्र के अधिकारी को सूचना दी गई तो उन्होंने इससे पल्ला झाड़ते हुए केवलारी वन परिक्षेत्र की सीमा के प्रवेश को लेकर मीडिया कर्मियों पर ही सवाल करने लगे। सागौन से भरी गाड़ी जिसमें कागज भी नहीं थे उसे रोकने और जानकारी लेने पर बौखलाए वन परि. अधिकारी अवैध परिवहन को लेकर जवाब देने से उलट समय परिणाम बताएगा परमात्मा सब देख रहा इस तरीके से लच्छेदार बातों से अपने आप को बचाने में जुट गए। इसके बाद मीडिया बंधुओं द्वारा सी.सी. एफ सिवनी एस.एस उद्दे को इसकी। जानकारी दी गई तो सोनखार रेस्ट हाउस में जंगल से कटे सागौन के लकड़ी को उतरवाकर विभागीय कार्यवाही की गई। दअरसल, केवलारी वन परिक्षेत्र की अधिकांश बीटों में धड़ल्ले से पेड़ो की कटाई की जा रही जिसको लेकर आम नागरिकों के द्वारा वन विभाग के उच्चाधिकारियों से लेकर सीएम हेल्पलाइन में भी शिकायत की जा चुकी है पर विभाग द्वारा वन कटाई को ना रोककर वनों की अवैध कटाई के प्रमाणों को मिटाने में लग गया है, जिसका ताजा उदाहरण देखने को मिला।
मीडिया को नहीं है जंगल में एंट्री पर वन माफियाओं को छूट
इस पूरे मामले में जहां वन विभाग को मामले में कार्यवाही करते हुए कटे पेड़ों की जांच करते हुए विभागीय कार्यवाही करनी थी परंतु इसमें विपरीत अधिकारियों द्वारा अपनी लापरवाही या मिलीभगत को छुपाने हेतु इस अवैध कटाई के मामले को ही झूठा घोषित करने का प्रयास किया जाने लगा जिसमें लिए अवैध कटे पेड़ों की लकड़ी को बिना किसी विभागीय कार्यवाही के ही प्राइवेट वाहन में भरकर जंगल से बाहर भेजा जा रहा था । पत्रकारों ने जब इस मामल में मौके पर पहुंचकर जानकारी मांगी तो रेंजर अमित सोनी द्वारा उनके जंगल में प्रवेश पर ही सवाल खड़े कर दिए गए । अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि जागरूक पत्रकारों को विभाग द्वारा जंगल में प्रवेश पर रोक लगाई जा सकती है तो क्या विभाग इन अवैध कटाई पर प्रतिबंध नहीं लग सकता ? इस पूरे मामले में क्षेत्रवासियो द्वारा वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही के साथ साथ जंगलों की कटाई में मिलीभगत के भी आरोप लग रहे हैं। अब देखना होगा वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी जंगलों की अवैध कटाई के मामले में क्या कार्यवाही करते हैं या हमेशा की तरह इस मामले में भी लीपापोती कर मामले को दबा दिया जाता है? कथनअवैध परिवहन की जानकारी मुझे प्राप्त हुई इस पर कार्यवाही करने के लिए निर्देशित किया है बहुत जल्द वन परिक्षेत्र केवलारी में अवैध कटाई जोरो।से चल रही है ये मेरी जानकारी में है शिकायत को लेकर कार्यवाही भी होगी।एस एस उद्दे, सी.सी.एफ सिवनी